राजिम नगरी

पबरीत हावे राजिम नगरी,
परयाग राज कहलाऐ।
बिच नदीया में कुलेश्वर बईठे,
तोरेच महीमा गाऐ।।

महानदी अऊ पईरी सोंढ़हू,
कल-कल धारा बोहाऐ।
तीनों नदीया के मिलन होगे,
तीरबेनी संगम कहाऐ।।

ब्रम्हा बिष्णु अऊ शिव संकर,
सरग ऊपर ले झांके।
बेलाही घाट में लोमश रिषी,
सुग्घर धुनी रमाऐ।।

राजिव लोचन तोर कोरा मं बईठे,
सुग्घर रूप सजाऐ।
राजिम के दुलौरिन करमा दाई,
तोर कोरा मं मांथ नवांऐ।।

राम लखन अऊ सिया जानकी,
तोर दरश करे बर आऐ।
वीर सपूत बजरंग बली,
तोरे चवंर डोलाऐ।।

तोर चरण मं कलम धरके,
गोकुल महीमि बखाने।
आसिस देदे तैंहर मोला,
सुग्घर तोला गोहराऐ।।

पबरीत हावे राजिम नगरी,
पदमावती कहलाऐ।
बीच नदीया मं कुलेश्वर बईठे,
तोरेच महीमा गाऐ।।

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम (घटारानी)
जिला-गरियाबंद (छतीसगढ़)
मों.9009047156

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One Thought to “राजिम नगरी”

  1. Heeradhar Sinha

    बड़ सुग्घर राजिम महिमा के बखान ….बधाई

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